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लाख की चूड़ियाँ

बढ़ते मशीनीकरण के चलते लघु उद्योग-धंधे कम होते जा रहे हैं। इनमें भी, हस्तशिल्पियों का तो और भी बुरा हाल है। हमारी कई पुरानी कलाएँ समाप्ति के कगार पर हैं। लाख की चूड़ियों का निमार्ण भी एक ऐसी ही कला है, जो बदलते समय के साथ आहत हुई है। 

कहानी ‘लाख की चूड़ियाँ’ पर आधारित गतिविधि के अंतर्गत कक्षा 8 A, 8 C के कुछ छात्रों ने चूड़ियाँ बेचने का अभिनय किया तो कुछ ने चूड़ियों से सुंदर आकृतियाँ बनाकर सभी का दिल मोह लिया।

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